आचार्य श्रीराम शर्मा >> अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रहश्रीराम शर्मा आचार्य
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जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह
(थ)
थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात,
धनी पुरुष निर्धन भये, करै पाछिली बात॥
थोरी किए बड़ेन की, बड़ी बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरधर कहत न कोय॥
थोरेई गुन रीझते, बिसराई वह बानि।
तुम हू कान्ह मनो भये, आज कालि के दानि॥
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